आज हम झुंझुनू जिले की एक प्रसिद्ध मिठाई की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने खुद को एक नाम दिलवाया है। हम भगवान हलवाई के डबल सिकाई राजभोग की बात कर रहे हैं, जो नवलगढ़ शहर में उपलब्ध है।
हम सभी ने स्पंजी राजभोग का स्वाद चखा है, जो हर शहर में आसानी से उपलब्ध होता है, लेकिन यह विशेष डबल सिकाई राजभोग केवल नवलगढ़ शहर में ही मिलता है। इस राजभोग का इतिहास स्वतंत्रता पूर्व काल तक जाता है।
नवालगढ़ के मिंटर चौक में एक छोटी सी गली है जिसका नाम 'भगवान जी' है। लगभग 82 साल पहले, भगवान सैनी नाम के एक केटरर ने एक छोटी सी दुकान में राजभोग बनानाशुरू किया। उत्कृष्ट स्वाद के कारण, यहमिठाई इतनी प्रसिद्ध हुईकि दुकान की गली कानाम 'भगवान जी हलवाई कीगली' रख दिया गया।
अब दुकान के मालिक गिरधारीलाल सैनी ने बतायाकि उनके पिता भगवान जी हलवाई ने लगभग 82 सालपहले रमेश्वर जोशी से मिठाईबनाना सीखा था। जबभगवानजी ने 1941 में अपनी दुकानखोली तब शेखावाटी क्षेत्रमें छैना की मिठाइयांबहुत प्रसिद्ध नहीं थीं। इस मिठाई को बनाते समय, उन्हें यह जानकारी नहींथी कि इस स्वादकी लोकप्रियता विदेशों तक जाएगी।
भगवानसैनी हमेशा मिठाइयों के साथ नएप्रयोग करने की उत्सुकता रखते थे। उनकी जिदथी कि वह ऐसीमिठाई तैयार करे जो दूरतक चर्चा का विषय बने।इस अटकल के चलतेएक दिन उन्हें यहविचार आया, क्यों नछैना से प्रयोग करकेनई मिठाई बनायीं जाए। उस दौरान, लोग राजभोग को 'बंगाली रसगुल्ला' के नाम से जानतेथे।
सैनीने पहली बार सिकाईकेसर बाटी (खीरमोहन) तैयार की थी। अधिकपकाने से खीरमोहन कठोरहो रहा था। इसकेकारण उसका स्वाद बहुतपसंद नहीं आया। इसस्थिति में, जब उसनेमीडियम-कुक्ड राजभोग तैयार किया तो वहबहुत स्पंजी निकला। इसके बाद एकऔर प्रयोग किया गया। राजभोगमें मीठे मखाने डालनेसे वह और भीस्पंजी हो गया। जबलोगों ने इसे खाया, तो उन्हें यह बहुत पसंदआया, इसके बाद हनुमानसैनी ने इस मिठाईको 'सिकाई के राजभोग' केनाम से जाना जानेलगा, जो दुनिया भरके लोगों को पसंद है।
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